अब किस से कहें और कौन सुने जो हाल तुम्हारे बाद हुआ

"अब किस से कहें और कौन सुने जो हाल तुम्हारे बाद हुआ इस दिल की झील सी आँखों में इक ख़्वाब बहुत बर्बाद हुआ ये हिज्र-हवा भी दुश्मन है इस नाम के सारे रंगों की वो नाम जो मेरे होंटों पे ख़ुशबू की तरह आबाद हुआ उस शहर में कितने चेहरे थे कुछ याद नहीं सब भूल गए इक शख़्स किताबों जैसा था वो शख़्स ज़बानी याद हुआ वो अपने गाँव की गलियाँ थी दिल जिन में नाचता गाता था अब इस से फ़र्क नहीं पड़ता कि मैं गम में रहा या शाद हुआ बेनाम सी मूर्त रहती थी इन गहरी साँवली आँखों में ऐसा तो कभी सोचा भी न था अब जितना बेदाद हुआ ©Hans gunjal"

 अब किस से कहें और कौन सुने जो हाल तुम्हारे बाद हुआ
इस दिल की झील सी आँखों में इक ख़्वाब बहुत बर्बाद हुआ

ये हिज्र-हवा भी दुश्मन है इस नाम के सारे रंगों की
वो नाम जो मेरे होंटों पे ख़ुशबू की तरह आबाद हुआ

उस शहर में कितने चेहरे थे कुछ याद नहीं सब भूल गए
इक शख़्स किताबों जैसा था वो शख़्स ज़बानी याद हुआ

वो अपने गाँव की गलियाँ थी दिल जिन में नाचता गाता था
अब इस से फ़र्क नहीं पड़ता  कि मैं गम में रहा या शाद हुआ

बेनाम सी मूर्त रहती थी इन गहरी साँवली आँखों में
ऐसा तो कभी सोचा भी न था अब जितना बेदाद हुआ

©Hans gunjal

अब किस से कहें और कौन सुने जो हाल तुम्हारे बाद हुआ इस दिल की झील सी आँखों में इक ख़्वाब बहुत बर्बाद हुआ ये हिज्र-हवा भी दुश्मन है इस नाम के सारे रंगों की वो नाम जो मेरे होंटों पे ख़ुशबू की तरह आबाद हुआ उस शहर में कितने चेहरे थे कुछ याद नहीं सब भूल गए इक शख़्स किताबों जैसा था वो शख़्स ज़बानी याद हुआ वो अपने गाँव की गलियाँ थी दिल जिन में नाचता गाता था अब इस से फ़र्क नहीं पड़ता कि मैं गम में रहा या शाद हुआ बेनाम सी मूर्त रहती थी इन गहरी साँवली आँखों में ऐसा तो कभी सोचा भी न था अब जितना बेदाद हुआ ©Hans gunjal

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