यूँ दिलासा ना दे मुझे ओ हकीम.. मेरे दर्द का इलाज | हिंदी शायरी
"यूँ दिलासा ना दे मुझे ओ हकीम..
मेरे दर्द का इलाज़ तेरे किसी लफ़्ज़ में नहीं..
क्या दबा रहा है हाथ मेरा तू बार बार..
ये रूह की बिमारी है मिलेगी नब्ज़ में नहीं.."
यूँ दिलासा ना दे मुझे ओ हकीम..
मेरे दर्द का इलाज़ तेरे किसी लफ़्ज़ में नहीं..
क्या दबा रहा है हाथ मेरा तू बार बार..
ये रूह की बिमारी है मिलेगी नब्ज़ में नहीं..