प्रियात्मा....
मोहब्बत अधूरी कैसे हो सकती है
(अनुशीर्षक पढें)
©RAVISHANKAR PAL
पहली अधूरी मुलाकात,
युहीं मुझे याद पूरी-पूरी कैसे हो सकती है?
वो लड़की पूरी-पूरी है,
फिर मोहब्बत अधूरी कैसे हो सकती है?
तुम कहते हो उसे भुलाने को
मेरे सपनों को खुद मुझे दफ़नाने को
उसकी यादें भूलि विसरी कैसे हो सकती है