इनसानियत तो इनसानों में नहीं बची आजकल।  मैंने खोट | हिंदी कविता

" इनसानियत तो इनसानों में नहीं बची आजकल।  मैंने खोटे चिट्टी में इनसानियत देखी है।  इनसान तो इनसान की मदद नहीं करते आजकल।  मैंने 2 चिट्टी को मिलकर एक पंख वाली चिट्टी को मदद करते देखा है।  अद्भुत था वो नजारा।  वो चिट्टी लग रही थी बेशरा।  भगवान चिट्टी के रूप में आए।  हर ली उसकी पीड़ा।  इनसानों को सीखनी चाहिए इनसानियत जीव जंतुओं से। उनमें भी दिल होता जो भी धरकता है दूसरों के लिए। हमारा दिल तो लोभी है, सिर्फ भोगी है।  कुछ सीखो तुम कीड़े-मकोड़ों से।  उनमें जन्म ले चुकी है इनसानियत।  जो इनसानों में नहीं बची। ©Author Shivam kumar Mishra (Shivanjal) "

इनसानियत तो इनसानों में नहीं बची आजकल।  मैंने खोटे चिट्टी में इनसानियत देखी है।  इनसान तो इनसान की मदद नहीं करते आजकल।  मैंने 2 चिट्टी को मिलकर एक पंख वाली चिट्टी को मदद करते देखा है।  अद्भुत था वो नजारा।  वो चिट्टी लग रही थी बेशरा।  भगवान चिट्टी के रूप में आए।  हर ली उसकी पीड़ा।  इनसानों को सीखनी चाहिए इनसानियत जीव जंतुओं से। उनमें भी दिल होता जो भी धरकता है दूसरों के लिए। हमारा दिल तो लोभी है, सिर्फ भोगी है।  कुछ सीखो तुम कीड़े-मकोड़ों से।  उनमें जन्म ले चुकी है इनसानियत।  जो इनसानों में नहीं बची। ©Author Shivam kumar Mishra (Shivanjal)

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