"ऐसी भी क्या मजबूरी है...
क्या अभी जाना जरूरी है...
पास बैठो न...बातें तो अभी अधूरी है...
अभी तो मयकश बाकी है..उन आंखों की जो भूरी है...
दीदार सब्र भर कर लूं...उस सूरत की जो नूरी है....
ऐसी भी क्या मजबूरी है...
क्या अभी जाना जरूरी है...
©Kunal Priydarshan"