कुछ कहना था पर कहूं तो किस्से कहूं , खुद से दूर कि

"कुछ कहना था पर कहूं तो किस्से कहूं , खुद से दूर किसी और के हिस्से में केसे रहूं, जो है वोह केह दिया तो शायद कुछ कीमती रिश्ते तोड़ दू, और अगर ना कह पाई तो खुद को ही ना खो दू,,, हजार वजह है कही दूर अपनी तलाश में निकल जाने के, पर बहुत कम मौके है कुछ खोए हुए अपनों को पाने के, कभी ना कभी तो मुझे भी समझा जाएगा ये में समझ जाऊं, और अगर ना कह पाई तो खुद को ही ना खो दू,,,, में भी कभी रोई हूं ,मैने भी मेरे हिस्से के दर्द को अपनाया है, मेरे रिश्ते इतने खास है की उनके लिए मेंने अपने दिल को मनाया है, कैसे समझाऊं अपने आप को ,केसे अपनों से मुंह मोड़ लु, पर अगर ना कह पाई तो कहीं अपने आप को ही ना खो दूं,,,, जहां अंधेरा है, वहां रोशनी भी होगी , कभी तो मेरी नजरों में मेरी इज्जत होगी, माना की मुझमें हिम्मत बहुत है ,- रो कर फिर हसना,दर्द में भी मुस्कुराना , नफरत में भी प्यार करना ,और मौत में भी दुआ मांगना , पर बस कर ख़ुदा तेरे इतने प्यार से कहीं टूट ना जाऊं, और अगर ना कह पाई तो कहीं अपने आप को ही ना खो दूं,,,,,,, - reena parmar ✍️ ©Dr.Reena parmar"

 कुछ कहना था पर कहूं तो किस्से कहूं ,
खुद से दूर किसी और के हिस्से में केसे रहूं,
जो है वोह केह दिया तो शायद कुछ कीमती रिश्ते तोड़ दू,
और अगर ना कह पाई तो खुद को ही ना खो दू,,,

हजार वजह है कही दूर अपनी तलाश में निकल जाने के,
पर बहुत कम मौके है कुछ खोए हुए अपनों को पाने के,
कभी ना कभी तो मुझे भी समझा जाएगा ये में समझ जाऊं,
और अगर ना कह पाई तो खुद को ही ना खो दू,,,,

में भी कभी रोई हूं ,मैने भी मेरे हिस्से के दर्द को अपनाया है,
मेरे रिश्ते इतने खास है की उनके लिए मेंने अपने दिल को मनाया है,
कैसे समझाऊं अपने आप को ,केसे अपनों से मुंह मोड़ लु, 
पर अगर ना कह पाई तो कहीं अपने आप को ही ना खो दूं,,,,

जहां अंधेरा है, वहां रोशनी भी होगी ,
कभी तो मेरी नजरों में मेरी इज्जत होगी,
माना की मुझमें हिम्मत बहुत है ,- रो कर फिर हसना,दर्द में भी मुस्कुराना 
, नफरत में भी प्यार करना ,और मौत में भी दुआ मांगना ,
पर बस कर ख़ुदा तेरे इतने प्यार से कहीं  टूट ना जाऊं,
और अगर ना कह पाई तो कहीं अपने आप को ही ना खो दूं,,,,,,,
                                                                   - reena parmar ✍️

©Dr.Reena parmar

कुछ कहना था पर कहूं तो किस्से कहूं , खुद से दूर किसी और के हिस्से में केसे रहूं, जो है वोह केह दिया तो शायद कुछ कीमती रिश्ते तोड़ दू, और अगर ना कह पाई तो खुद को ही ना खो दू,,, हजार वजह है कही दूर अपनी तलाश में निकल जाने के, पर बहुत कम मौके है कुछ खोए हुए अपनों को पाने के, कभी ना कभी तो मुझे भी समझा जाएगा ये में समझ जाऊं, और अगर ना कह पाई तो खुद को ही ना खो दू,,,, में भी कभी रोई हूं ,मैने भी मेरे हिस्से के दर्द को अपनाया है, मेरे रिश्ते इतने खास है की उनके लिए मेंने अपने दिल को मनाया है, कैसे समझाऊं अपने आप को ,केसे अपनों से मुंह मोड़ लु, पर अगर ना कह पाई तो कहीं अपने आप को ही ना खो दूं,,,, जहां अंधेरा है, वहां रोशनी भी होगी , कभी तो मेरी नजरों में मेरी इज्जत होगी, माना की मुझमें हिम्मत बहुत है ,- रो कर फिर हसना,दर्द में भी मुस्कुराना , नफरत में भी प्यार करना ,और मौत में भी दुआ मांगना , पर बस कर ख़ुदा तेरे इतने प्यार से कहीं टूट ना जाऊं, और अगर ना कह पाई तो कहीं अपने आप को ही ना खो दूं,,,,,,, - reena parmar ✍️ ©Dr.Reena parmar

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