अनजानी राहाें के माेड़ पर डगमगाए न
कुछ अलग से हाैंसले तुम छुपाए रखना
ना भटकना तंग गलियाें से ऐ मुसाफिर
अपने मन काे कठाेरता से सजाए रखना
बसीरत से ताे टूट ही जाती है उम्मीदें
तुम तल्ख़ बाताें से इसे उठाए रखना
गुजरेगी तिमिर की किरणें सवेरा देख
तुम बस हिम्मत का दीप जलाए रखना
पहुँचना है शिखर पर इन राहाें से "प्रिय"
तुम कदमाें में वही जुम्बिश मचाए रखना
©Priya Rawat
#safarnama