तितली ने रस को छोड़ के रंगों की चाह की, यानी कि तन | English Video

तितली ने रस को छोड़ के रंगों की चाह की,
यानी कि तन को छोड़ के मन पर निगाह की।

ये इश्क़ भी ग़ज़ल की तरह ही तो है, जहाँ,
मतले पे सब ने हाय तो मक़्ते पे आह की।

गजल - अनमोल सावरण
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