उसने बतलाया मुझे के मर्द को हक़ नहीं नाराज़गी का मैं | हिंदी शायरी

"उसने बतलाया मुझे के मर्द को हक़ नहीं नाराज़गी का मैं जो नाराज़ हुआ उसने छोड़ा जैसे ख़्वाब कोई रात का ©Kammal Kaant Joshii"

 उसने बतलाया मुझे के मर्द को हक़ नहीं नाराज़गी का
मैं जो नाराज़ हुआ उसने छोड़ा जैसे ख़्वाब कोई रात का

©Kammal Kaant Joshii

उसने बतलाया मुझे के मर्द को हक़ नहीं नाराज़गी का मैं जो नाराज़ हुआ उसने छोड़ा जैसे ख़्वाब कोई रात का ©Kammal Kaant Joshii

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