अपना दर्द लिखता ,
तो मैं क्या लिखता ?
हौसले का दिवाला लिखता ,
या पांव का छाला लिखता ।
तपती दुपहरी का पसीना लिखता ,
या बर्फ में जम कर जीना लिखता ।
रूखा सुखा बेमन का निवाला लिखता,
या गम भुलाने को पीना लिखता ।
जो भी लिखता वो खुदगर्जी होता ,
मेरा हर दुख दर्द बस फर्जी होता ।
सबकुछ मिला है मुझको मेरी चाहत से ,
मैं चाहता था की काश वदन पर वर्दी होता ।
राह की हर बाधाएं मुझे स्वीकार है,
हो जाऊं भयभीत भुजबल को धिक्कार है।
मंजिल मान जिसको भी चाहा हमने ,
उस चाहत का भी हम पर कुछ अधिकार है ।
ख्वाहिशों को आग लगा दूं ये ख्वाहिश है उसकी,
कितना चाहता हूं उसे ये पैमाईश है उसकी।
तन अर्पण मन अर्पण और जीवन का समर्पण
है सच्चा या झूठा ये आजमाइश है उसकी।
BP YADAV
©🎡🍑WRITER'S CHOICE🍑🎡
#PulwamaAttack