White विधा :- वसनविशाला छन्द
१११ १११ १२२ २२२
पशु सम बन नही आत्याचारी ।
नर जस रह सदा आज्ञाकारी ।।
चल शरण गुरु तू हो जा ज्ञानी ।
फिर बन जगत में तू सम्मानी ।।
महेन्द्र सिंह प्रखर
©MAHENDRA SINGH PRAKHAR
विधा :- वसनविशाला छन्द
१११ १११ १२२ २२२
पशु सम बन नही आत्याचारी ।
नर जस रह सदा आज्ञाकारी ।।
चल शरण गुरु तू हो जा ज्ञानी ।
फिर बन जगत में तू सम्मानी ।।