सिर पर जब हम बाँध लेते हैं, जिम्मेदारियों की पगड़ी

"सिर पर जब हम बाँध लेते हैं, जिम्मेदारियों की पगड़ी, तो हमारी ख़्वाहिशें खुद ब खुद जिम्मेदारियों के, बोझ तले दबकर दफन हो जाती हैं, और फिर जिम्मेदारिया निभाते हुए ,हम खुद को ऐसा भूलते है कि, एक दिन जीना ही भूल जाते हैं खुद के लिए। लेकिन हमारी असली मौत होती है, उस दिन जिस दिन वो लोग , जिनकी जिम्मेदारियों को निभाते हुए हमारे बाल तक पक गए ,पल भर में कह देते हैं कि ... आपने हमारे लिए किया ही क्या है???😔 ©kamlesh pratap singh"

 सिर पर जब हम बाँध लेते हैं, जिम्मेदारियों की पगड़ी, तो हमारी ख़्वाहिशें खुद ब खुद जिम्मेदारियों  के, बोझ तले दबकर दफन  हो जाती हैं, और फिर जिम्मेदारिया निभाते हुए ,हम खुद को ऐसा भूलते है कि, एक दिन जीना ही भूल जाते हैं खुद के लिए। लेकिन हमारी असली मौत होती है, उस दिन जिस दिन वो लोग , जिनकी जिम्मेदारियों  को निभाते हुए हमारे बाल तक पक गए ,पल भर में कह देते हैं कि ... आपने हमारे लिए किया ही क्या है???😔

©kamlesh pratap singh

सिर पर जब हम बाँध लेते हैं, जिम्मेदारियों की पगड़ी, तो हमारी ख़्वाहिशें खुद ब खुद जिम्मेदारियों के, बोझ तले दबकर दफन हो जाती हैं, और फिर जिम्मेदारिया निभाते हुए ,हम खुद को ऐसा भूलते है कि, एक दिन जीना ही भूल जाते हैं खुद के लिए। लेकिन हमारी असली मौत होती है, उस दिन जिस दिन वो लोग , जिनकी जिम्मेदारियों को निभाते हुए हमारे बाल तक पक गए ,पल भर में कह देते हैं कि ... आपने हमारे लिए किया ही क्या है???😔 ©kamlesh pratap singh

#baisakhi

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