"क्या लिखूं तुज पे
तू तो बस एक राज़ है
जिसे मे सबसे छुपाऐ सुनता हूं। तू एक अहसास है जो चुपके से मिलता है।सपनो मे मेरे सुबह उठ कर ढूढ़ता हुँ फिर निशान तेरे।"
क्या लिखूं तुज पे
तू तो बस एक राज़ है
जिसे मे सबसे छुपाऐ सुनता हूं। तू एक अहसास है जो चुपके से मिलता है।सपनो मे मेरे सुबह उठ कर ढूढ़ता हुँ फिर निशान तेरे।