रोना तो बहुत चाहता हूं दोस्त मैं,पर मेरे आंख से आ | हिंदी शायरी

"रोना तो बहुत चाहता हूं दोस्त मैं,पर मेरे आंख से आंशु नहीं निकल रहा । सोना तो चाहता हूं चैन की नींद,लेकिन किसी की याद बहुत सता रहा । माना की किसी से रोज बात करना और बात करना छोड़ देना गलत है । यूं तो मुलाकात होती थी और बात भी, मगर एक दूसरे से मूंह मोड़ लेना भी गलत है । वैसे वो सुंदर भी है, संस्कारी भी और प्यारी भी, ये मोहब्बत खुशियों का पिटारी है और बिमारी भी । ©_Ram_Laxman_"

 रोना तो बहुत चाहता हूं दोस्त मैं,पर 
मेरे आंख से आंशु नहीं निकल रहा ।

सोना तो चाहता हूं चैन की नींद,लेकिन
 किसी  की याद बहुत  सता रहा ।

माना की किसी से रोज बात करना
और बात करना छोड़ देना गलत है ।

यूं तो मुलाकात होती थी और बात भी,
मगर एक दूसरे से मूंह मोड़ लेना भी गलत है ।

वैसे वो सुंदर भी है, संस्कारी भी और प्यारी भी,
ये मोहब्बत खुशियों का पिटारी है और बिमारी भी ।

©_Ram_Laxman_

रोना तो बहुत चाहता हूं दोस्त मैं,पर मेरे आंख से आंशु नहीं निकल रहा । सोना तो चाहता हूं चैन की नींद,लेकिन किसी की याद बहुत सता रहा । माना की किसी से रोज बात करना और बात करना छोड़ देना गलत है । यूं तो मुलाकात होती थी और बात भी, मगर एक दूसरे से मूंह मोड़ लेना भी गलत है । वैसे वो सुंदर भी है, संस्कारी भी और प्यारी भी, ये मोहब्बत खुशियों का पिटारी है और बिमारी भी । ©_Ram_Laxman_

रोना तो बहुत चाहता हूं दोस्त मैं,पर
मेरे आंख से आंशु नहीं निकल रहा है ।

सोना तो चाहता हूं चैन की नींद,लेकिन
किसी की याद बहुत सता रहा है ।

माना की किसी से रोज बात करना
और बात करना छोड़ देना गलत है ।

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