मुझसे ख्वाबो मे मुखातिब ना हो मेरे साकी तू जनता | हिंदी Poetry

"मुझसे ख्वाबो मे मुखातिब ना हो मेरे साकी तू जनता नही साँसों के सरसराहट से रूहो के विनिमय मे खलल पड़ती है चाँदनी🌙 ©चाँदनी"

 मुझसे ख्वाबो मे मुखातिब ना हो 
मेरे साकी

तू जनता नही
साँसों के सरसराहट
से रूहो के विनिमय मे खलल
पड़ती है

चाँदनी🌙

©चाँदनी

मुझसे ख्वाबो मे मुखातिब ना हो मेरे साकी तू जनता नही साँसों के सरसराहट से रूहो के विनिमय मे खलल पड़ती है चाँदनी🌙 ©चाँदनी

#soulmate

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