महामना ने तय कर लिया था काशी हिन्दू विश्वविद्यालय | हिंदी विचार

"महामना ने तय कर लिया था काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना करनी है ...... सियासी महकमे में हलचल थी और कुछ विरोध भी कि हिंदू विश्वविद्यालय क्यों ? .... समस्या स्थान की थी ,,, धन की थी और जन की भी कमी ठीक ठाक थी ...जो नीव का पत्थर बनने की हिम्मत रख पाते .... महामना जी ने प्रण ले ही लिया था कि जो सरस्वती प्रयाग में विलुप्त हैं ...उनको काशी में स्थापित करेंगे ..... सर की उपाधि से सम्मानित सुंदरलाल जी उन अग्रणी लोगो मे थे जिनको यकीन था ..... कि महामना का स्वप्न एक दिवा स्वप्न है ...जो कभी साकार नहीं होगा । यदा कदा मिलते तो व्यंग के तीखे तीर जरूर चलाते ..... महामना तो महामना थे ....बात हंस कर टाल जाते .... फिर वो दिन आया जब दिवा स्वप्न साकार हुआ ..... काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना हुई ....और भारतीय शिक्षा जगत में एक नव युग की शुरुआत हुई .... महामना ने पहल की ....और "सर सुंदरलाल " को उसी विश्वविद्यालय का प्रथम वाइस चांसलर बनाया ... इतना ही नही उन्ही के नाम पे हॉस्पिटल का नाम भी रखा । ये वही सुंदरलाल थे ....जिन्होंने महामना के स्वप्न को दिवा स्वप्न कहा .....कभी सहयोग तो नही किया ... हां व्यंग के तीर जरूर चलाए .....और महामना ने उनको vc bna दिया ..... जिंदगी में सुंदरलाल की तरह बहुत लोग होंगे ...जिनको आप पर ,,,आप की सामर्थ्य पर ,,,आप के स्वप्न पर संदेह होगा ... जब आप सफलता के शिखर पर हों ,,सर्वत्र जय जयकार हो रही हो तब.... उनको मत भूलिए जिनको कभी संदेह था .... वक्त आने पर इस कदर सम्मान दीजिएगा कि जब तक रहे उनका पद उनको याद दिलाता रहे .... " ये परितिषिक है आप के व्यंग का ,,आप के संदेह का ...आप के संशय का ... ©Sachin R. Pandey"

 महामना ने तय कर लिया था काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना करनी है ......
सियासी महकमे में हलचल थी और कुछ विरोध भी कि हिंदू विश्वविद्यालय क्यों ? ....
समस्या स्थान की थी ,,, धन की थी और जन की भी कमी ठीक ठाक थी ...जो नीव का पत्थर बनने की हिम्मत रख पाते ....
महामना जी ने प्रण ले ही लिया था कि जो सरस्वती प्रयाग में विलुप्त हैं ...उनको काशी में स्थापित करेंगे .....
सर की उपाधि से सम्मानित सुंदरलाल जी उन अग्रणी लोगो मे थे जिनको यकीन था ..... कि महामना का स्वप्न एक दिवा स्वप्न है ...जो कभी साकार नहीं होगा ।
यदा कदा मिलते तो व्यंग के तीखे तीर जरूर चलाते .....
महामना तो महामना थे ....बात हंस कर टाल जाते ....
फिर वो दिन आया जब दिवा स्वप्न साकार हुआ .....
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना हुई ....और भारतीय शिक्षा जगत में एक नव युग की शुरुआत हुई ....
महामना ने पहल की ....और "सर सुंदरलाल " को उसी विश्वविद्यालय का प्रथम वाइस चांसलर बनाया ...
इतना ही नही उन्ही के नाम पे हॉस्पिटल का नाम भी रखा । 
ये वही सुंदरलाल थे ....जिन्होंने महामना के स्वप्न को दिवा स्वप्न कहा .....कभी सहयोग तो नही किया ... हां व्यंग के तीर जरूर चलाए .....और महामना ने उनको vc bna दिया .....
जिंदगी में सुंदरलाल की तरह बहुत लोग होंगे ...जिनको आप पर ,,,आप की सामर्थ्य पर ,,,आप के स्वप्न पर संदेह होगा ... 
जब आप सफलता के शिखर पर हों ,,सर्वत्र जय जयकार हो रही हो तब....
उनको मत भूलिए जिनको कभी संदेह था ....
वक्त आने पर इस कदर सम्मान दीजिएगा कि जब तक रहे उनका पद उनको याद दिलाता रहे ....
" ये परितिषिक है आप के व्यंग का ,,आप के संदेह का ...आप के संशय का ...

©Sachin R. Pandey

महामना ने तय कर लिया था काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना करनी है ...... सियासी महकमे में हलचल थी और कुछ विरोध भी कि हिंदू विश्वविद्यालय क्यों ? .... समस्या स्थान की थी ,,, धन की थी और जन की भी कमी ठीक ठाक थी ...जो नीव का पत्थर बनने की हिम्मत रख पाते .... महामना जी ने प्रण ले ही लिया था कि जो सरस्वती प्रयाग में विलुप्त हैं ...उनको काशी में स्थापित करेंगे ..... सर की उपाधि से सम्मानित सुंदरलाल जी उन अग्रणी लोगो मे थे जिनको यकीन था ..... कि महामना का स्वप्न एक दिवा स्वप्न है ...जो कभी साकार नहीं होगा । यदा कदा मिलते तो व्यंग के तीखे तीर जरूर चलाते ..... महामना तो महामना थे ....बात हंस कर टाल जाते .... फिर वो दिन आया जब दिवा स्वप्न साकार हुआ ..... काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना हुई ....और भारतीय शिक्षा जगत में एक नव युग की शुरुआत हुई .... महामना ने पहल की ....और "सर सुंदरलाल " को उसी विश्वविद्यालय का प्रथम वाइस चांसलर बनाया ... इतना ही नही उन्ही के नाम पे हॉस्पिटल का नाम भी रखा । ये वही सुंदरलाल थे ....जिन्होंने महामना के स्वप्न को दिवा स्वप्न कहा .....कभी सहयोग तो नही किया ... हां व्यंग के तीर जरूर चलाए .....और महामना ने उनको vc bna दिया ..... जिंदगी में सुंदरलाल की तरह बहुत लोग होंगे ...जिनको आप पर ,,,आप की सामर्थ्य पर ,,,आप के स्वप्न पर संदेह होगा ... जब आप सफलता के शिखर पर हों ,,सर्वत्र जय जयकार हो रही हो तब.... उनको मत भूलिए जिनको कभी संदेह था .... वक्त आने पर इस कदर सम्मान दीजिएगा कि जब तक रहे उनका पद उनको याद दिलाता रहे .... " ये परितिषिक है आप के व्यंग का ,,आप के संदेह का ...आप के संशय का ... ©Sachin R. Pandey

महामना

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