रात के दामन में बिखर गए तारे,
पलकों में ख़्वाब निखर गए हमारे,
चांँद भी आसमां में मंद मंद मुस्काए,
देख कर प्रकृति के, अद्भुत ये नज़ारे,
चंचल चांँदनी की देखो कैसी चपलता,
रात की ख़ामोशी में ये चांँद को पुकारे,
नींद है आंँखों में पर सोने कहांँ देते,
ये ख़्वाब, ये अंधेरी रातों के उजाले,
चांँद से तो मोहब्बत है सभी को पर,
रात के नसीब में तो लिखे हैं अंँधियारे।
©Mili Saha
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