किससे रंजिश है किससे रब्त गहरा है.. मत कुरेदो ये ज | हिंदी शायरी

"किससे रंजिश है किससे रब्त गहरा है.. मत कुरेदो ये ज़ख़्म अभी गहरा है! बात बरसात की भी तुमसे करेंगे लेकिन.. यहां नज़र में अभी दूर तलक सहरा है! मुझे ख़बर है ज़माने की नज़र तुमपर है.. तुमने ग़ुलज़ार ही कुछ इस तरह बिख़ेरा है! किसी को वक्त अहमियत भी नहीं देता.. किसी के वक्त का हर एक पल सुनहरा है! हज़ार बंदिशें कोई लगाए कैद़ करे.. वो मुझको ढूंढ ही लेगा अगर वो मेरा है! ©Ankush Kr"

 किससे रंजिश है किससे रब्त गहरा है..
मत कुरेदो ये ज़ख़्म अभी गहरा है!

बात बरसात की भी तुमसे करेंगे लेकिन..
यहां नज़र में अभी दूर तलक सहरा है!

मुझे ख़बर है ज़माने की नज़र तुमपर है..
तुमने ग़ुलज़ार ही कुछ इस तरह बिख़ेरा है!

किसी को वक्त अहमियत भी नहीं देता..
किसी के वक्त का हर एक पल सुनहरा है!

हज़ार बंदिशें कोई लगाए कैद़ करे..
वो मुझको ढूंढ ही लेगा अगर वो मेरा है!

©Ankush Kr

किससे रंजिश है किससे रब्त गहरा है.. मत कुरेदो ये ज़ख़्म अभी गहरा है! बात बरसात की भी तुमसे करेंगे लेकिन.. यहां नज़र में अभी दूर तलक सहरा है! मुझे ख़बर है ज़माने की नज़र तुमपर है.. तुमने ग़ुलज़ार ही कुछ इस तरह बिख़ेरा है! किसी को वक्त अहमियत भी नहीं देता.. किसी के वक्त का हर एक पल सुनहरा है! हज़ार बंदिशें कोई लगाए कैद़ करे.. वो मुझको ढूंढ ही लेगा अगर वो मेरा है! ©Ankush Kr

#AkelaMann

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