कभी चूल्हा तो कभी चिता जलाने में काम आता हू ;
अमीर गरीब से फर्क नहीं, में सब को फल खिलाता हू।
भूल जाते है लोग अक्सर की मुझ में भी है जान कहीं;
परोपकार की शिक्षा देने मैं ख़ुद ही मिट जाता हू ।
— सिद्धार्थ राजगोर ‘अनंत’
©Siddharth Rajgor 'અનંત'
#WorldEnvironmentDay