हाँ आवाज़ उठाएंगे सब यहाँ ,बस बलात्कार तो होने दो | हिंदी विचार

"हाँ आवाज़ उठाएंगे सब यहाँ ,बस बलात्कार तो होने दो फिर किसी को किसी की हवस का शिकार तो होने दो रहते हैं मौन , जब सड़कों पर छेड़ी जाती हैं लड़कियां खोलेंगे जुबान कहीं बड़ा कोई अत्याचार तो होने दो अरे ये तो रोज़ की बात है कहकर टाल दो तुम सबकुछ नोच डालेगा जिस्म सोच से किसी को बीमार तो होने दो अब ना कहो कुछ भी कि तब तो नजरअंदाज किया था कान के परदे फट पड़े कहीं ऐसी हाहाकार तो होने दो रोटियाँ सेंकेगी मजहब पर यहाँ भी सियासती कुर्सियाँ हिन्दू - मुस्लिम की लाशों पर चीख और पुकार तो होने दो कहो कौन रोकेगा ये तूफान तुम्हारी चौखट तकआने से गवाह बन जाओगे इसी तरह खुद को लाचार तो होने दो कचरा ज़हन का कदमों तले रख दोगे सब के सब यहाँ बस तुम्हारी माँ बहनों के साथ ऐसा व्यवहार तो होने दो मैं नारी हुँ पर अब मुझे ,कोई फक्र नहीं अपने वजूद पर रौंद डालेगा बदन बस ,मर्द होने का अहंकार तो होने दो ©PANDEY AMIT"

 हाँ आवाज़ उठाएंगे सब यहाँ ,बस बलात्कार तो होने दो 
फिर किसी को किसी की हवस का शिकार तो होने दो

रहते हैं मौन , जब सड़कों पर छेड़ी जाती हैं लड़कियां 
खोलेंगे जुबान कहीं बड़ा कोई अत्याचार तो होने दो

अरे ये तो रोज़ की बात है कहकर टाल दो तुम सबकुछ
 नोच डालेगा जिस्म सोच से किसी को बीमार तो होने दो
 
अब ना कहो कुछ भी कि तब तो नजरअंदाज किया था 
कान के परदे फट पड़े कहीं ऐसी हाहाकार  तो होने दो

रोटियाँ सेंकेगी मजहब पर यहाँ भी सियासती कुर्सियाँ
 हिन्दू - मुस्लिम की लाशों पर चीख और पुकार तो होने दो 

कहो कौन रोकेगा ये तूफान तुम्हारी चौखट तकआने से 
गवाह बन जाओगे इसी तरह खुद को लाचार तो होने दो

कचरा ज़हन का कदमों तले रख दोगे सब के सब यहाँ 
बस तुम्हारी माँ बहनों के साथ ऐसा व्यवहार तो होने दो

मैं नारी हुँ पर अब मुझे ,कोई फक्र नहीं अपने वजूद पर 
रौंद डालेगा बदन बस ,मर्द होने का अहंकार तो होने दो

©PANDEY AMIT

हाँ आवाज़ उठाएंगे सब यहाँ ,बस बलात्कार तो होने दो फिर किसी को किसी की हवस का शिकार तो होने दो रहते हैं मौन , जब सड़कों पर छेड़ी जाती हैं लड़कियां खोलेंगे जुबान कहीं बड़ा कोई अत्याचार तो होने दो अरे ये तो रोज़ की बात है कहकर टाल दो तुम सबकुछ नोच डालेगा जिस्म सोच से किसी को बीमार तो होने दो अब ना कहो कुछ भी कि तब तो नजरअंदाज किया था कान के परदे फट पड़े कहीं ऐसी हाहाकार तो होने दो रोटियाँ सेंकेगी मजहब पर यहाँ भी सियासती कुर्सियाँ हिन्दू - मुस्लिम की लाशों पर चीख और पुकार तो होने दो कहो कौन रोकेगा ये तूफान तुम्हारी चौखट तकआने से गवाह बन जाओगे इसी तरह खुद को लाचार तो होने दो कचरा ज़हन का कदमों तले रख दोगे सब के सब यहाँ बस तुम्हारी माँ बहनों के साथ ऐसा व्यवहार तो होने दो मैं नारी हुँ पर अब मुझे ,कोई फक्र नहीं अपने वजूद पर रौंद डालेगा बदन बस ,मर्द होने का अहंकार तो होने दो ©PANDEY AMIT

#Stoprape

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