White यदि पति परमेश्वर है, तो पत्नी परमेश्वरी है!
जहाँ एक पत्नी का धर्म है अपने पति का सम्मान करना तो पति का धर्म भी है, उनका आदर करना!
ये मुद्दा ही गलत है कि उन दोनों में से कौन श्रेष्ठ है! आज के प्रगतिशील भारत में केवल पति का यह दायित्व नहीं है कि अपनी परिवार को आर्थिक सहायता करें, पत्नी का भी समान दायित्व है और केवल पत्नी का यह कार्य नहीं है कि घर और बच्चों को संभालें; पति का भी समान दायित्व है! मिलकर चलेंगे तो लक्ष्य पूर्ण होंगे! अकेले श्रेय लेना चाहोगे तो विवाह-रूपी योजना असफल हो जाएंगी!!
किसी एक को सर्वश्रेष्ठ समझना बहुत गलत है, दोनों इंसान हैं, जाने-अनजाने में उन दोनों से गलतियां हो सकतीं हैं! पहले सुख के सभी साधन पत्नी को अपने पति से प्राप्त होते थे तो उनके लिए परमेश्वर तुल्य थे एवं पत्नी अपना अस्तित्व त्याग करके अपने परिवार का ख्याल रखतीं थीं; अतएव वो परमेश्वरी थीं॥
परंतु प्रत्येक सामाजिक व्यवस्था में कुछ न कुछ समय पश्चात् एक विकृति उत्पन्न हो ही जातीं हैं!! कुछ ऐसे अधर्मी हुए जिन्होंने पति को श्रेष्ठ एवं पत्नी को एक वस्तु के तुल्य समझने की गलती की॥ अतः संकीर्ण विचारधाराओं से संलिप्त व्यक्ति, मतलबी समाज की विचार को दरकिनार कर अपनी जीवनसाथी की प्रतिकूल परिस्थितियों में भी यौवनावस्था में अहमियत देने में कदापि न किचकिचाएं!!
यौवनावस्था की समर्पण, प्रेम, विचारों का आदान- प्रदान आपकी वृद्धावस्था को आनंदमय सिद्ध करेंगी॥
©Rustam Juli Yadav
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