White और लगन अब करनी है
बड़ी महल तब बननी है
तन से बूंदे और बहनी है
किरदार तब अपनी महकनी है
कहे ज़माने भर के लोग
जो हो रहा है वो होनी है
मिलता है सबको फल यहाँ
जिसकी जैसी करनी है
असंभव है सुराख़ आसमां में
संभव उसको अब करनी है
जिंदगी भले ही दम तोड़ जाए
पर जमीर को जिन्दा रखनी है
पंख हमारे न हो तो क्या
हौसलो की उड़ान भरनी है
दुःख के पर्वत हो तो क्या
हँसकर उसको शर्मिंदा करनी है
जिन्दा यहाँ पर कौन रहा
मौत गले तो लगनी है
चार दिन की जिंदगी में
हंसी-ख़ुशी से रहनी है
©विजय
#GoodMorning