मैं बदल के लिबास, अपने जमीर का, अक्सर खुद को, धोखा | हिंदी शायरी

"मैं बदल के लिबास, अपने जमीर का, अक्सर खुद को, धोखा दिया करता हूं, खुद को बेहतर, बनना चाहता हूं, पर हर बार, खुद को ही, खो दिया करता हूं । - Sanchi"

 मैं बदल के लिबास,
अपने जमीर का,
अक्सर खुद को,
धोखा दिया करता हूं,
खुद को बेहतर,
बनना चाहता हूं,
पर हर बार,
खुद को ही,
खो दिया करता हूं ।

- Sanchi

मैं बदल के लिबास, अपने जमीर का, अक्सर खुद को, धोखा दिया करता हूं, खुद को बेहतर, बनना चाहता हूं, पर हर बार, खुद को ही, खो दिया करता हूं । - Sanchi

#worldnotobaccoday

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