मिल जाओ तुम कहीं, वक्त की पाबंदियों से दूर, सारी | हिंदी कविता

"मिल जाओ तुम कहीं, वक्त की पाबंदियों से दूर, सारी मजबूरियों को, ताक पर रखकर, तुम बस आ जाओ, किसी रोज मेरे लिए, जमाने की सारी, बंदिशें तोड़कर। ©हृदेश महक' "

 मिल जाओ तुम कहीं,
 वक्त की पाबंदियों से दूर,
 सारी मजबूरियों को,
 ताक पर रखकर,
 तुम बस आ जाओ,
 किसी रोज मेरे लिए,
 जमाने की सारी,
 बंदिशें तोड़कर।

©हृदेश महक'

मिल जाओ तुम कहीं, वक्त की पाबंदियों से दूर, सारी मजबूरियों को, ताक पर रखकर, तुम बस आ जाओ, किसी रोज मेरे लिए, जमाने की सारी, बंदिशें तोड़कर। ©हृदेश महक'

#togetherforever

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