कूप के मंडूक मिलकर, गा रहे मल्हार। नैन के भँवर से फूटे, अँसुवन की धार। बदलियाँ उमंग में, गागर जो छोड़ गई। टूटे विरह तारे से, भेंट रात जोड़ गई। आस से कुरेदती मैं, हृदय के किवाड़। भोर बनके पधारो, साजन नेह संसार। ©Smriti_Mukht_iiha🌠 कूपगीत! Quotes, Shayari, Story, Poem, Jokes, Memes On Nojoto