White कैसे समझाऊं मैं अपने दिल को कितना विश्वास क | हिंदी भक्ति

"White कैसे समझाऊं मैं अपने दिल को कितना विश्वास करती थी मैं तुम पर जिंदगी के झटकों ने दिल को चूर-चूर कर दिया हंसी आती होगी तुम्हें मेरी बातें सुनकर ऐसे ही थी मेरी भक्ति, तुम क्या समझोगे? इतना समय नहीं होगा तुम्हारे पास मेरे लिए तुम्हारे लिए तो लंबी-लंबी कतारें लगी है तुमने तो मुझे समझने का मौका भी नहीं दिया तब भी जहर थी जिंदगी अब भी जहर है जिंदगी तुमने तो अमृत का घूंट देकर मुझे मारा है इसमें कसूर तुम्हारा नहीं हमारा है इतना ज्यादा तुमसे मांग लिया हमने किस कदर हमसे ही कर लिया छुटकारा है तुमने तो दे दे के हमको मारा है कैसी तेरी दरियादिली है फिर भी क्यों लगता मुझे तेरा ही नाम प्यारा है याद आते हैं मुझे वो दिन मैं कहती थी मुझे तो केवल साथ तुम्हारा है तुमने तो सच भी कर दिया था मेरा सपना फिर बीच भंवर से मुझे क्यों नहीं उबारा है कोई ऐसे कैसे कर सकता किनारा है मेरा दिल आज भी तुम्हारा है ©My diary"

 White कैसे समझाऊं मैं अपने दिल को 
कितना विश्वास करती थी मैं तुम पर 
जिंदगी के झटकों ने दिल को चूर-चूर कर दिया 
हंसी आती होगी तुम्हें मेरी बातें सुनकर 
ऐसे ही थी मेरी भक्ति, तुम क्या समझोगे? 
इतना समय नहीं होगा तुम्हारे पास मेरे लिए 
तुम्हारे लिए तो लंबी-लंबी कतारें लगी है 
तुमने तो मुझे समझने का मौका भी नहीं दिया 
तब भी जहर थी जिंदगी अब भी जहर है जिंदगी 
तुमने तो अमृत का घूंट देकर मुझे मारा है 
इसमें कसूर तुम्हारा नहीं हमारा है 
इतना ज्यादा तुमसे मांग लिया हमने 
किस कदर हमसे ही कर लिया छुटकारा है 
तुमने तो दे दे के हमको मारा है 
कैसी तेरी दरियादिली  है 
फिर भी क्यों लगता मुझे तेरा ही नाम प्यारा है 
याद आते हैं मुझे वो दिन 
मैं कहती थी मुझे तो केवल साथ तुम्हारा है 
तुमने तो सच भी कर दिया था मेरा सपना 
फिर बीच भंवर से मुझे क्यों नहीं उबारा है 
कोई ऐसे कैसे कर सकता किनारा है 
मेरा दिल आज भी तुम्हारा है

©My diary

White कैसे समझाऊं मैं अपने दिल को कितना विश्वास करती थी मैं तुम पर जिंदगी के झटकों ने दिल को चूर-चूर कर दिया हंसी आती होगी तुम्हें मेरी बातें सुनकर ऐसे ही थी मेरी भक्ति, तुम क्या समझोगे? इतना समय नहीं होगा तुम्हारे पास मेरे लिए तुम्हारे लिए तो लंबी-लंबी कतारें लगी है तुमने तो मुझे समझने का मौका भी नहीं दिया तब भी जहर थी जिंदगी अब भी जहर है जिंदगी तुमने तो अमृत का घूंट देकर मुझे मारा है इसमें कसूर तुम्हारा नहीं हमारा है इतना ज्यादा तुमसे मांग लिया हमने किस कदर हमसे ही कर लिया छुटकारा है तुमने तो दे दे के हमको मारा है कैसी तेरी दरियादिली है फिर भी क्यों लगता मुझे तेरा ही नाम प्यारा है याद आते हैं मुझे वो दिन मैं कहती थी मुझे तो केवल साथ तुम्हारा है तुमने तो सच भी कर दिया था मेरा सपना फिर बीच भंवर से मुझे क्यों नहीं उबारा है कोई ऐसे कैसे कर सकता किनारा है मेरा दिल आज भी तुम्हारा है ©My diary

#Shiva

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