"चीज़ें कितनी सही होती हैं न?"
"मतलब?"
"अगर हमने संभाल लिया होता?"
"पर चीज़े मेरी तरफ से ही ख़राब नहीं हुई थी!"
"मैंने कभी तुम्हें इल्ज़ाम नहीं लगाना चाहा"
"पर हालातों ने मुझे ही गलत ठहराया"
"तो मुझपे विश्वास करना था"
"विश्वास ही तो टूटा"
"मैं माफ़ी माँग चुका था उसकी"
"पर मैं माफ़ नहीं कर पाऊंगा क्योंकि चीज़े अब वापस वैसे नहीं हो सकती"
"तो अब?"
"अब पता है.. बस मैं कभी-कभी सोचता हूं"
"क्या?"
"चीज़ें कितनी सही होती हैं न.."
©Ashvani Kumar
#Pinnacle चीजें कितनी सही होती हैं न