राखी आई ...राखी आई...
खुशियां, मिलन संदेशे लाई।
नहीं चाहिए मुझको तोहफे
नहीं चाहिए शगुन लिफाफे।
इस बरस तू आजा भाई
बहुत हो गई लम्बी जुदाई।
इससे अच्छा तो वो वचपन था
जहां अपने और अपनापन था।
ना थी कोई वंदिश ,ना थी रिश्तों में सौदाई
ढूंढती हूं मैं फिर से, वही पुराना भाई।
क्यों रिश्तों में सूनापन, कहां गया अपनापन
जब देखूं छाया जग की, तब क्यों चुभता मेरा मन।
आखिर किसने ये रीति बनाई
क्यों हो गई बहन पराई
दिल से दूर करने को तो, ना की थी उसकी विदाई।
Love you mere Bhai.
©pooja verma
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#Sunrise