हिंदी दिवस हिंदी भाषा की संस्कृति जैसे हमारे संस

"हिंदी दिवस हिंदी भाषा की संस्कृति जैसे हमारे संस्कारों की है आकृति ...!! ऋषि मुनियों के उपन्यास से लेकर वेद हो या गीता के श्लोक के अर्थ बताकर ...!! अज्ञानी भी ज्ञान प्राप्त कर मिटाते है अपनी अभिमान यहां पर ...!! " मैं " नहीं " हम " है यहां सब हिन्दी ने अहम भूमिका निभाई यहां पर ...!! दादी हो या हो नानी प्रिय थी हमे इनकी सारी कहानी ...!! भूली विसरी एक थी आदत हर बात पर जुबां पर होती थी कहावत ...!! व्यंग्य-प्रसंग हो या हो गीत-संगीत सभी के सहयोग से बनी हिन्दी गरिमा की अहमियत ...!! ©Vidya Jha"

 हिंदी दिवस हिंदी भाषा की  संस्कृति 
जैसे हमारे संस्कारों की है आकृति ...!!

ऋषि मुनियों के उपन्यास से लेकर 
वेद हो या गीता के श्लोक के अर्थ बताकर ...!!

अज्ञानी भी ज्ञान प्राप्त कर 
मिटाते है अपनी अभिमान यहां पर ...!!

" मैं " नहीं " हम " है यहां सब 
हिन्दी ने अहम भूमिका निभाई यहां पर ...!!

दादी हो या हो नानी 
प्रिय थी हमे इनकी सारी कहानी ...!!

भूली विसरी एक थी आदत 
हर बात पर जुबां पर होती थी कहावत ...!!

व्यंग्य-प्रसंग हो या हो गीत-संगीत 
सभी के सहयोग से बनी हिन्दी गरिमा की अहमियत ...!!

©Vidya Jha

हिंदी दिवस हिंदी भाषा की संस्कृति जैसे हमारे संस्कारों की है आकृति ...!! ऋषि मुनियों के उपन्यास से लेकर वेद हो या गीता के श्लोक के अर्थ बताकर ...!! अज्ञानी भी ज्ञान प्राप्त कर मिटाते है अपनी अभिमान यहां पर ...!! " मैं " नहीं " हम " है यहां सब हिन्दी ने अहम भूमिका निभाई यहां पर ...!! दादी हो या हो नानी प्रिय थी हमे इनकी सारी कहानी ...!! भूली विसरी एक थी आदत हर बात पर जुबां पर होती थी कहावत ...!! व्यंग्य-प्रसंग हो या हो गीत-संगीत सभी के सहयोग से बनी हिन्दी गरिमा की अहमियत ...!! ©Vidya Jha

#Hindidiwas

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