Alone गली-गली फिर तू आधी रात,, माहिर बन
कर सामना हर बाधाओं का,, क़ादिर बन
गुज़रगाह ये विचलित सा, उखड़ा-उखड़ा
तू चलना मिटाने काे बरहम,, साहिर बन
नदी सा है गहरा आसमाँ से ऊँचा ख़वाब
बुलंदी से सजा मन निकलना शातिर बन
देगा हिम्मत तेरी उम्मीदें काेशिशें उत्साह
वाे कहते न जाे भी बन अपने ख़ातिर बन
वबाल भी हबाब से उड़ ही जाते "प्रिय"
तू बस एक पथ चल सच्चा मुसाफिर बन
©Priya Rawat
#alone