चलो कही अब दूर चले,
अपने आप से मिलने चले
अब तुमको कौन बताये, हम किसके लिए किधर चले
थोड़ा देर से चले, पर चले
हम खुद ही में चलने लगे,
औरो को हटाते चले
तुम गाड़ियों में चले तो क्या चले,
हम पैदल गाड़ियों से ज़्यादा चले
हम बोटल साथ ले चले,
औरो को पीलाते हुए चले,
हम नशे में रहे, फिर भी तरीके से चले
इज़्ज़त, शर्म, ,लहजा तमीज़ सब उतार कर चले
हम रास्तो को मिटाते हुए चले, तो कुछ को बताते हुए चले,
की फिर दूसरा दर्द कोई, यहा ना चले
हम खुद को झूठ बोलकर चले,
की हम तुमसे मिलने चले
सच कहें तो,
हम खुद को खुद से मिलाने चले