White खुशी ढूंढते प्रतिपल लेकिन , जीवन में संताप बहुत हैं।
राग, द्वेष, अनुराग भावना , कलुषित मन में पाप बहुत हैं ।
सोच रहा हूं नागपंचमी , प्रतिदिन खूब मनाऊं "राज"।
किस किसको मैं दूध पिलाऊं, आस्तीन के सांप बहुत हैं ।
शुभ नागपंचमी
©राजेश कुमार
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