धीरे धीरे मोम सा पिघल रहा हूं मैं जाने किस रास्ते | हिंदी शायरी

"धीरे धीरे मोम सा पिघल रहा हूं मैं जाने किस रास्ते पर चल रहा हूं मैं ज़माने की खलिश ने धुआं दबा दिया असल में पल - पल जल रहा हूं मैं !.. *राज मेहरा*"

 धीरे धीरे मोम सा पिघल रहा हूं मैं
जाने किस रास्ते पर चल रहा हूं मैं
ज़माने की खलिश ने धुआं दबा दिया
असल में पल - पल जल रहा हूं मैं !..

*राज मेहरा*

धीरे धीरे मोम सा पिघल रहा हूं मैं जाने किस रास्ते पर चल रहा हूं मैं ज़माने की खलिश ने धुआं दबा दिया असल में पल - पल जल रहा हूं मैं !.. *राज मेहरा*

एक दिन आइने के सामने

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