ये चांदनी क्या खूब है, जो खुद चांद का न हो सका, जो
"ये चांदनी क्या खूब है,
जो खुद चांद का न हो सका,
जो कभी था चांद मेरा ,
वो अब दूर हमसे हो गया,
हक उसे भी है अपना,
आसमान चुनने की,
जो हुआ था चांद मेरा ,
अब और किसी का हो गया......."
ये चांदनी क्या खूब है,
जो खुद चांद का न हो सका,
जो कभी था चांद मेरा ,
वो अब दूर हमसे हो गया,
हक उसे भी है अपना,
आसमान चुनने की,
जो हुआ था चांद मेरा ,
अब और किसी का हो गया.......