इक ज़माने के बाद रोया हूँ
ज़ख़्म खाने के बाद रोया हूँ
उस के जाने पे चुप था मैं लेकिन
उस के जाने के बाद रोया हूँ
अपने हाथों से आज फिर अपना
दिल दुखाने के बाद रोया हूँ
खो के तेरे ख़यालों में अक्सर
मुस्कुराने के बाद रोया हूँ
पहले पढ़ कर मैं मुस्कुराया मगर
ख़त जलाने के बाद रोया हूँ
आज फिर आइने को मैं अपना
ग़म सुनाने के बाद रोया हूँ
तुझ से मंसूब कर के शे'रों को
गुनगुनाने के बाद रोया हूँ
तेरी यादों के 'साद' शानों पर
सर झुकाने के बाद रोया हूँ
~अरशद साद रुदौलवी
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