जुस्तजू हैं तुम्हारी हर पहर ढूँढ़ रहा हूँ , पाने क | हिंदी Shayari

"जुस्तजू हैं तुम्हारी हर पहर ढूँढ़ रहा हूँ , पाने को एक झलक हर शहर ढूँढ़ रहा हूँ , एक आखिरी बार चाहता हूँ मिल लो क्योंकी , जीना नहीं मुझे अब मैं ज़हर ढूँढ़ रहा हूँ !!! writer rk ..."

 जुस्तजू हैं तुम्हारी हर पहर ढूँढ़ रहा हूँ ,
पाने को एक झलक हर शहर ढूँढ़ रहा हूँ ,
एक आखिरी बार चाहता हूँ मिल लो क्योंकी  ,
जीना नहीं मुझे अब मैं ज़हर ढूँढ़ रहा हूँ !!!
writer rk ...

जुस्तजू हैं तुम्हारी हर पहर ढूँढ़ रहा हूँ , पाने को एक झलक हर शहर ढूँढ़ रहा हूँ , एक आखिरी बार चाहता हूँ मिल लो क्योंकी , जीना नहीं मुझे अब मैं ज़हर ढूँढ़ रहा हूँ !!! writer rk ...

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