ये ज़िन्दगी का खेल है
है हिम्मत तो खेल ले
यहाँ रोज नए तमाशे है
यहाँ लोग रंग दिखाते है
यहाँ लोभ है अहंकार है
असत्य और अत्याचार है
वासना का वास है
वेदना और त्रास है
है खेल ये शतरंज सा
चाल की बिसात है
हर ओर भ्रष्टाचार है
अधर्म की जय जयकार है
यहाँ तू खुद को माप ले
तेरी क्या औकात है
पर ये कभी न भूलना
कि ज़िन्दगी के खेल का
रावण सा विस्तार है
दूसरा पहलू भी है
है यहाँ पे सत्य भी
धर्म अभी भी जिंदा है
जो प्रण तूने कर लिया
और तुझमे बची श्वास है
तो तुझको कौन रोक सका
तू उड़ता एक परिंदा है
यहाँ जंग औरों से भी
और खुद से भी लड़ाई है
तू जगा ले अपनी चेतना
तो तिमिर में भी प्रकाश है
है हिम्मत तो खेल ले
ये ज़िन्दगी का खेल है।
©Akshay Shukla
#lostinthoughts