गलत रास्ता पकड़ लिया हूं
और पथ से परेशान हूं।
मैं और कोई नहीं
नया पथिक अनजान हूं।
चल के ठहरा हूं चौराहे के सामने।
अब चार कदम चलना भी मुश्किल है।
चाह के भी चौराहे के सामने।
दुविधा में मन पड़ा है।
किस ओर मैं बढु ।
फिर मैं गलत रास्ता न पकड़ लु।
इस डर से मैं ठहरा हूं यही।
©Narendra kumar