मेरे अंदर का बच्चा कहता है दो कदम क्या पीछे हुआ तो मुझको तू कायर ना समझ
जो लिखने लगें हैं मोहब्बत तो तू बेतुका सा शायर ना समझ,
हम ने थोड़ा आँखे क्या मुंदी की तुम हमें रोशनी सीखा रहे हो,
साथ चलकर हमारे आज, हमे चलना सीखा रहे हो
तू तकदीर से चला, मेरी मेहनत साथ थी
तू चला रास्तों पर, हम खुद राह बनाई है
तू कहता रहा चीख कर की मेने समुन्दर में नाव चलाई है
कभी कागज की कस्तियों पर तूने देखा नही है उम्मीदों को तैरते हुए..
सुंदरियाल जी