मैं पत्थर का हो जाता हु।एक सोच अकल से फिसल गयी मुझ | हिंदी कविता Video

"मैं पत्थर का हो जाता हु।एक सोच अकल से फिसल गयी मुझे याद थी की बदल गयी मेरी सोच थी की खुवाब था मेरी ज़िंदगी का हिसाब था। मेरी जुस्तजू की बरस्त थी मेरी मुस्किलो की वो अक्स थी मुझे याद हो तो वो सोच थी न याद हो तो गुमाह था। मुझे बैठे बैठे गुमा हुआ गुमा नहीं था खुदा था वो खुदा की जिसने जुबान दी मुझे दिल दिया मुझे जान दी वो जुबान जिसे न चला सके वो दिल जिसे न मना सके वो जॉ जिसे न लगा सके। ©Shivangi Priyaraj "

मैं पत्थर का हो जाता हु।एक सोच अकल से फिसल गयी मुझे याद थी की बदल गयी मेरी सोच थी की खुवाब था मेरी ज़िंदगी का हिसाब था। मेरी जुस्तजू की बरस्त थी मेरी मुस्किलो की वो अक्स थी मुझे याद हो तो वो सोच थी न याद हो तो गुमाह था। मुझे बैठे बैठे गुमा हुआ गुमा नहीं था खुदा था वो खुदा की जिसने जुबान दी मुझे दिल दिया मुझे जान दी वो जुबान जिसे न चला सके वो दिल जिसे न मना सके वो जॉ जिसे न लगा सके। ©Shivangi Priyaraj

#TereHaathMein

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