वो कहती है इतनी अच्छी नही  वो तो सिंगार कर रखा है | हिंदी Shayari

"वो कहती है इतनी अच्छी नही  वो तो सिंगार कर रखा है वरना जचती नही, पहनती सफेद- नीली सारी, कानों में  चांदी की बाली और माथे पे बिंदिया काली है, और जब जब शर्मा कर फूलाती है गालों को अपनी लगती वो सबसे प्यारी है, हवाओं से उलझ कर सवारती है जुल्फ़ों को अपनी पीछे झुमके से अपनी जो वक्त को अटकाती है! पत्ता न देती किस पर भी लेकिन ध्यान सबका भटकाती है, फिर कहती इतने साफ से है मैं इतनी अच्छी नही  वो तो सिंगार कर रखा है वरना जचती नही.. ©Ayushman Sundarka"

 वो कहती है इतनी अच्छी नही 
वो तो सिंगार कर रखा है वरना जचती नही,
पहनती सफेद- नीली सारी, कानों में 
चांदी की बाली और माथे पे बिंदिया काली है,
और जब जब शर्मा कर फूलाती है गालों को अपनी
लगती वो सबसे प्यारी है,
हवाओं से उलझ कर सवारती है जुल्फ़ों को अपनी
पीछे झुमके से अपनी जो वक्त को अटकाती है!
पत्ता न देती किस पर भी लेकिन ध्यान सबका भटकाती है,
फिर कहती इतने साफ से है
मैं इतनी अच्छी नही 
वो तो सिंगार कर रखा है वरना जचती नही..

©Ayushman Sundarka

वो कहती है इतनी अच्छी नही  वो तो सिंगार कर रखा है वरना जचती नही, पहनती सफेद- नीली सारी, कानों में  चांदी की बाली और माथे पे बिंदिया काली है, और जब जब शर्मा कर फूलाती है गालों को अपनी लगती वो सबसे प्यारी है, हवाओं से उलझ कर सवारती है जुल्फ़ों को अपनी पीछे झुमके से अपनी जो वक्त को अटकाती है! पत्ता न देती किस पर भी लेकिन ध्यान सबका भटकाती है, फिर कहती इतने साफ से है मैं इतनी अच्छी नही  वो तो सिंगार कर रखा है वरना जचती नही.. ©Ayushman Sundarka

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