सोचा था नजराने लिखकर कलम से इन्कलाब लाऐगें जवां द | हिंदी शायरी

"सोचा था नजराने लिखकर कलम से इन्कलाब लाऐगें जवां दिलो पर अपनी दिलकश शायरी से तबाही मांगेंगे जिन्दगी की जिम्मेदारियाँ हुनर को खा गयी एक हंसती खेलती जिन्दगी सड़क पर आ गयी ... धीरज सैनी धीर @@*** ©Dheeraj saini dheer"

 सोचा था नजराने लिखकर कलम से इन्कलाब लाऐगें
 जवां दिलो पर अपनी दिलकश शायरी से तबाही मांगेंगे 
 जिन्दगी की जिम्मेदारियाँ हुनर को खा गयी 
एक हंसती खेलती जिन्दगी सड़क पर आ गयी ...

धीरज सैनी धीर @@***

©Dheeraj saini dheer

सोचा था नजराने लिखकर कलम से इन्कलाब लाऐगें जवां दिलो पर अपनी दिलकश शायरी से तबाही मांगेंगे जिन्दगी की जिम्मेदारियाँ हुनर को खा गयी एक हंसती खेलती जिन्दगी सड़क पर आ गयी ... धीरज सैनी धीर @@*** ©Dheeraj saini dheer

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