अक्सर, मन में उठती बातें, शब्दों को न पाकर,मन में | हिंदी Shayari Vide

"अक्सर, मन में उठती बातें, शब्दों को न पाकर,मन में ही सिमट जाती हैं। जब भी खुलता है, मन का दरवाज़ा, बीते वक्त की गुल्लक से निकल आती हैं। गुजरते वक्त में भी कहीं ठहरी -सी, अपने होने का अहसास लिए, मौन से भी संवाद करती हैं। फ़र्क नहीं पड़ता , कि कोई सुने या न सुने, फ़र्क पड़ता है, जब अहसासों को शब्द नहीं मिलते। क्योंकि किरदारों के रहते, कहानी खत्म नहीं होती। संवाद चलते रहते हैं ...! प्रत्यक्ष या परोक्ष..! ©kdramalogy "

अक्सर, मन में उठती बातें, शब्दों को न पाकर,मन में ही सिमट जाती हैं। जब भी खुलता है, मन का दरवाज़ा, बीते वक्त की गुल्लक से निकल आती हैं। गुजरते वक्त में भी कहीं ठहरी -सी, अपने होने का अहसास लिए, मौन से भी संवाद करती हैं। फ़र्क नहीं पड़ता , कि कोई सुने या न सुने, फ़र्क पड़ता है, जब अहसासों को शब्द नहीं मिलते। क्योंकि किरदारों के रहते, कहानी खत्म नहीं होती। संवाद चलते रहते हैं ...! प्रत्यक्ष या परोक्ष..! ©kdramalogy

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