White चश्मा लग गया मेरी इन आंखों में, ऊपर से बस अ | English Poetry

"White चश्मा लग गया मेरी इन आंखों में, ऊपर से बस अंधेरा है मेरी इन राहों में कैसे ढूंढ के लाऊं मैं मीलों का पत्थर हर पत्थर पर निशान है मेरे अरमानों के कागज़ का नाव सब डूबने लगा मेरा  जाने कौन बैठा है आसमानों में कोई तो बताए यहां से आगे का रास्ता भटककर मिली है मंजिले जिन्हे इन राहों में अब तो जवाब भी नही देता ये आईनों में बैठा शख्स उलझा रहता है अक्सर अपने ही किसी सवालों में अब तो दरिया तक पार नही कर पाती जज्बें हमारी कभी बांधता था समंदर मैं अपनी बाहों में कहां जाकर बस गई सारी खुशियां हमारी मैं लापता घूम रहा दर-बदर अनजानो में ©Saurav Shubham"

 White  चश्मा लग गया मेरी इन आंखों में,
ऊपर से बस अंधेरा है मेरी इन राहों में
कैसे ढूंढ के लाऊं मैं मीलों का पत्थर
हर पत्थर पर निशान है मेरे अरमानों के
कागज़ का नाव सब डूबने लगा मेरा 
जाने कौन बैठा है आसमानों में
कोई तो बताए यहां से आगे का रास्ता
भटककर मिली है मंजिले जिन्हे इन राहों में
अब तो जवाब भी नही देता ये आईनों में बैठा शख्स
उलझा रहता है अक्सर अपने ही किसी सवालों में
अब तो दरिया तक पार नही कर पाती जज्बें हमारी
कभी बांधता था समंदर मैं अपनी बाहों में
कहां जाकर बस गई सारी खुशियां हमारी
मैं लापता घूम रहा दर-बदर अनजानो में

©Saurav Shubham

White चश्मा लग गया मेरी इन आंखों में, ऊपर से बस अंधेरा है मेरी इन राहों में कैसे ढूंढ के लाऊं मैं मीलों का पत्थर हर पत्थर पर निशान है मेरे अरमानों के कागज़ का नाव सब डूबने लगा मेरा  जाने कौन बैठा है आसमानों में कोई तो बताए यहां से आगे का रास्ता भटककर मिली है मंजिले जिन्हे इन राहों में अब तो जवाब भी नही देता ये आईनों में बैठा शख्स उलझा रहता है अक्सर अपने ही किसी सवालों में अब तो दरिया तक पार नही कर पाती जज्बें हमारी कभी बांधता था समंदर मैं अपनी बाहों में कहां जाकर बस गई सारी खुशियां हमारी मैं लापता घूम रहा दर-बदर अनजानो में ©Saurav Shubham

Uljhan

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