काम, क्रोध, मद, लोभ, सब, नाथ नरक के पंथ। सब परिहरि

"काम, क्रोध, मद, लोभ, सब, नाथ नरक के पंथ। सब परिहरि रघुबीरहि, भजहुं भजहिं जेहि संत।  काम, क्रोध, अहंकार, लोभ आदि नरक के रास्ते पर ले जाने वाले हैं। काम के वश होकर आपने जो देवी सीता का हरण किया है और आपको जो बल का अहंकार हो रहा है, वह आपके विनाश का रास्ता है। जिस प्रकार साधु लोग सब कुछ त्यागकर भगवान का नाम जपते हैं आप भी राम के हो जाएं। मनुष्य को भी इस लोक में और परलोक में सुख, शांति और उन्नति के लिए इन पाप की ओर ले जाने वाले तत्वों से बचना चाहिए। ©mishraji"

 काम, क्रोध, मद, लोभ, सब, नाथ नरक के पंथ।
सब परिहरि रघुबीरहि, भजहुं भजहिं जेहि संत।

  काम, क्रोध, अहंकार, लोभ आदि नरक के रास्ते पर ले जाने वाले हैं। काम के वश होकर आपने जो देवी सीता का हरण किया है और आपको जो बल का अहंकार हो रहा है, वह आपके विनाश का रास्ता है। जिस प्रकार साधु लोग सब कुछ त्यागकर भगवान का नाम जपते हैं आप भी राम के हो जाएं। मनुष्य को भी इस लोक में और परलोक में सुख, शांति और उन्नति के लिए इन पाप की ओर ले जाने वाले तत्वों से बचना चाहिए।

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काम, क्रोध, मद, लोभ, सब, नाथ नरक के पंथ। सब परिहरि रघुबीरहि, भजहुं भजहिं जेहि संत।  काम, क्रोध, अहंकार, लोभ आदि नरक के रास्ते पर ले जाने वाले हैं। काम के वश होकर आपने जो देवी सीता का हरण किया है और आपको जो बल का अहंकार हो रहा है, वह आपके विनाश का रास्ता है। जिस प्रकार साधु लोग सब कुछ त्यागकर भगवान का नाम जपते हैं आप भी राम के हो जाएं। मनुष्य को भी इस लोक में और परलोक में सुख, शांति और उन्नति के लिए इन पाप की ओर ले जाने वाले तत्वों से बचना चाहिए। ©mishraji

इन सब चिज विनाश का मुल कारण है
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