इस कलयुग में कोई अपना नहीं हैं भगवान और माता-पिता | हिंदी Poetry

"इस कलयुग में कोई अपना नहीं हैं भगवान और माता-पिता को छोड़कर भक्ति की शक्ति में हैं सत्य मार्ग हैं बाकी सब धोखा है सब मिथ्या है सब मायाजाल हैं यह संसार में सब धोखेबाज हैं स्वार्थ पारायण है यह संसार ©person"

 इस कलयुग में कोई अपना नहीं हैं 
भगवान और माता-पिता को छोड़कर 
भक्ति की शक्ति में हैं 
सत्य मार्ग हैं 
बाकी 
सब धोखा है सब मिथ्या है सब मायाजाल हैं 
यह संसार में सब धोखेबाज हैं 
स्वार्थ पारायण है यह संसार

©person

इस कलयुग में कोई अपना नहीं हैं भगवान और माता-पिता को छोड़कर भक्ति की शक्ति में हैं सत्य मार्ग हैं बाकी सब धोखा है सब मिथ्या है सब मायाजाल हैं यह संसार में सब धोखेबाज हैं स्वार्थ पारायण है यह संसार ©person

सब धोखा हैं

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