उसका दिया हुआ लिबाज मेरे तन से ऐसे लिपट गया मानो क | हिंदी Poetry

"उसका दिया हुआ लिबाज मेरे तन से ऐसे लिपट गया मानो किसी मुसाफिर को ठहरने का ठिकाना मिल गया !!! ©Vikas Roshan"

 उसका दिया हुआ लिबाज मेरे तन से ऐसे लिपट गया
मानो किसी मुसाफिर को ठहरने का ठिकाना मिल गया !!!

©Vikas Roshan

उसका दिया हुआ लिबाज मेरे तन से ऐसे लिपट गया मानो किसी मुसाफिर को ठहरने का ठिकाना मिल गया !!! ©Vikas Roshan

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