तुम्हें सिर्फ सुनती नहीं हूॅं तुम आहिस्ता आहिस्ता | हिंदी Poetry

"तुम्हें सिर्फ सुनती नहीं हूॅं तुम आहिस्ता आहिस्ता ठहर जाते हो मुझ में ही.... ©vidushi MISHRA"

 तुम्हें सिर्फ सुनती नहीं हूॅं 
तुम आहिस्ता आहिस्ता ठहर जाते हो 
मुझ में ही....

©vidushi MISHRA

तुम्हें सिर्फ सुनती नहीं हूॅं तुम आहिस्ता आहिस्ता ठहर जाते हो मुझ में ही.... ©vidushi MISHRA

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