जाने किश्मत हम किस मोड़ पे ले आई है।
सफर मीलों का मगर साथ ये तन्हाई है।।
वक़्त सिकंदर के हाथ भी नहीं आता।
इसने शाहों से भी अच्छी वफ़ा निभाई है।।
सारी दुनियाँ की तस्सवुर का भरोसा कैसा।
बात मेहनत की तो घरौंधा भी एक कमाई है।
बीती हुई यादों ने फिरसे दस्तक दी है ।
घर चलो के आज घर की याद आई है।।
©Kranti Thakur
#घर की याद
#lost