गुज़र रही है ज़िन्दगी, ऐसे मुकाम से !
अपने भी दूर हो जाते हैं, ज़रा से ज़ुकाम से !!
तमाम क़ायनात में "एक क़ातिल बीमारी" की हवा हो गई,
वक़्त ने कैसा सितम ढा़या कि "दूरियाँ" ही ''दवा'' हो गई
©annu
*गुज़र रही है ज़िन्दगी, ऐसे मुकाम से !*
*अपने भी दूर हो जाते हैं, ज़रा से ज़ुकाम से !!*
*तमाम क़ायनात में "एक क़ातिल बीमारी" की हवा हो गई,*
*वक़्त ने कैसा सितम ढा़या कि "दूरियाँ" ही ''दवा'' हो गई।*
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